मूल्यांकन कैसे करें आईएएस पीसीएस एग्जाम में असफल अभ्यर्थी अपना मूल्यांकन कैसे करें IAS EXAM के लिए दुबारा खुद का मूल्यांकन कैसे करें - अभिप्रेरणा लेख
How to evaluate yourself How to evaluate yourself for unsuccessful candidates in IAS PCS exam How to evaluate yourself again for IAS EXAM
लक्ष्य बनाया था, मूल्यांकन कीजिए, कितना पाया ?
मात्र लक्ष्य बनाने भर से ही कुछ नहीं होता,सतत मूल्यांकन करना होगा | लगातार मूल्यांकन करना होगा आप मंजिल से पीछे है ? तो खोजें क्या कमी रही ? क्या लक्ष्य संसाधनों से अधिक बना लिया था ? या संसाधन की कमी आपको पीछे कर रही ,मूल्यांकन दर्पण दिखलाएगा, कहा गलती हुई ? क्या भूले हुईं ? कब - कब भटके ? कहाँ चूक रह गई स्थिति के अनुसार या रणनीति रही थी या अनुमान और अनुभव में कोई कमी आई की मार्गदर्शन की कमी आई या मार्ग की कठिनाई हमें समझ नहीं आई
असफलता के बाद नया मार्ग बनाया जा सकता है असफलता को सफलता में बदलने के लिए मूल्यांकन आवश्यक है पुनर्मूल्यांकन उतार चढ़ाव के बीच यही स्थिति स्पष्ट करता है
शाब्दिक विश्लेषण की दृष्टि से मूल्यांकन दो शब्दों का सम्मिलन है– प्रथम मूल्य तथा द्वितीय अंकन । इस तरह मूल्य का अंकन करना ही मूल्यांकन है अर्थात मूल्यांकन में इस सत्य का निर्णय किया जाता है कि कौन सी चीज अच्छी है तथा कौन सी बुरी? और अच्छी होने के क्या कारण हैं? कहने का तात्पर्य यह है कि जब हम किसी वस्तु या व्यक्ति के गुण दोषों के सन्दर्भ में उसका अवलोकन करते हैं, तो वहाँ मूल्यांकन निहित होता है।
ईमानदारी से मूल्यांकन कीजिए, स्वयं ही पता चल जाएगा की जितनी पढाई करनी आवश्यक थी, उतनी नहीं कर पाए थे ? गलत कामों में रहे, बड़ों का कहना नहीं माना, अंतर्मन में झॉक कर देंखेगे तो बहुत कुछ स्पष्ट चला जाएगा |
एक कागज पर अपनी अच्छाइया एवं बुराइयाँ लिख लीजिए | कागज किसी को बतलाना नहीं है | स्वयं के लिए ही है , अच्छाइया लिखने बैठगें, तो दो - चार से अधिक नहीं लिख पाएंगे, बुराईयो के लिए एक कागज कम पड़ेगा, सप्लीमेंट्री कापी लेनी होगी | संकल्प कीजिए , प्रति वर्ष कम - से - कम एक अच्छीई बढ़ाएंगे, एक बुराई कम करेंगे, 1% सुधार का सिध्दांत अपनाये और अपने में प्रारंभ से 1 % सुधार लेन के लिए तत्पर रहे ,क्योकि अच्छाई और बुराई चक्रवृद्धि व्याज की तरह की होती हैं
अगले वर्ष पुनः मूल्यांकन कीजिए, बुराइयो कभी भी शून्य नहीं हो पाएंगी, नई बुराइयाँ जुड़ती चली जाएंगी, कुछ अच्छाई बुराई में बदल सकती है | सर्वगुणसम्पन्न कोई नहीं होता, इंसान गलती करता ही है और गलती करना गलत नहीं उसे दोहराना गलत हो सकता है बस आवश्यकता है गुणों को बढ़ाने की एवं अवगुणो को काम करने की |
हमारी अपनी शारीरिक , बौद्धिक , मानसिक क्षमता कितनी है , हम कितने घंटे पढ़ाई कर सकते है | परिवार समाज , देश के लिए हमारी शिक्षा कितनी उपयोगी होगी , यह सब चिन्तन , मनन , मंथन कर , बड़ो से उचित मार्गदर्शन लेकर लक्ष्य बनाना चाहिए | उसका मूल्यांकन करते रहना चाहिए क्योकि आज समय तेजी से बदल रहा है साथ ही तकनीक भी बदलते देर नहीं लग रही है
सतत मूल्यांकन से पता चलेगा की दूसरे संस्थान में प्रयास करना है क्या ? दुबारा परीक्षा देनी है क्या ? नई पुस्तक खरीदनी है क्या ? कोचिंग पेकेज लेना है क्या ? अगली परीक्षा हेतु नौकरी से अवकाश लेना है क्या ? परिवार को पीहर - ससुराल छोड़ कर आना है क्या, ताकि पढ़ाई को अधिक समय किया जा सके | ऑनलाइन क्लास का विकल्प चुनना चाहिए या किसी शिक्षक की संगत करना चाहिए
मूल्यांकन के परिणाम से योजना में परिवर्तन कीजिए | हर हार से हम सीखते है | गिरने के पश्चात् उठ कर भी खड़ा होना होता है | मेडिकल अवकाश के पश्चात फिटनेस प्रमाण - पत्र लेकर फिर ड्यूटी ज्वाइन करनी होती है | जीवन चलते रहना चाहिए, चरैवेति, एकला चलो रे | मूल्यांकन कीजिए गलतियों से सीखिए, पुनः प्रयास कीजिए |
मूल्यांकन का मुख्य उद्देश्य क्या है? -
शिक्षा के क्षेत्र में मूल्यांकन एक तकनीकी शब्द है। इसकी प्रक्रिया के अन्तर्गत न सिर्फ छात्रों की विषय विशेष संबंधी योग्यता की ही जानकारी प्राप्त होती है वरन यह भी जानने का प्रयास किया जाता है कि उसके सम्पूर्ण व्यक्तित्व का विकास किस सीमा तक हुआ है ? साथ ही शिक्षण पाठ्यक्रम, शिक्षण विधियाँ आदि की सफलता के बारे में जानकारी प्राप्त करने में भी मूल्यांकन प्रक्रिया का सहारा लिया जाता है। संक्षेप में मूल्यांकन एक निर्णयात्मक तथा व्यापक प्रक्रिया है, जिसके अन्तर्गत विषय–वस्तु की उपयोगिता के विषय में निर्णय लिया जाता है, जो बुद्धिमतापूर्ण एवं परिपक्व होता है।
Very nice 👍 excellent work sir
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हटाएं👌👌👌 superb
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